संसद के शीतकालीन सत्र की आज यानी सोमवार से शुरुआत हो रही है। इस सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को सीधा और स्पष्ट संदेश दिया है। उन्होंने विपक्ष से "पराजय की निराशा से बाहर निकलने" की अपील करते हुए कहा कि संसद को नारेबाजी की जगह नीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
लोकतंत्र की ताकत और 'विकसित भारत' का संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया से बात करते हुए लोकतंत्र की शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने हाल ही में हुए चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने लोकतंत्र को जिया है और इसके उमंग तथा उत्साह को प्रकट कर लोकतंत्र के प्रति विश्वास को बढ़ाया है।
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बिहार चुनाव का जिक्र: पीएम ने बिहार में हुए मतदान में भागीदारी को लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि माताओं और बहनों की भागीदारी इसकी मजबूती को दर्शाती है।
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डेमोक्रेसी कैन डिलीवर: उन्होंने कहा, "भारत ने सिद्ध कर दिया है कि डेमोक्रेसी कैन डिलीवर।"
प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था पर भी ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विकसित भारत की ओर ले जाने में नई ताकत दे रही है। उनका मानना है कि यह सत्र इस बात पर केंद्रित होना चाहिए कि संसद देश के लिए क्या सोच रही है और क्या करने वाली है।
नए सांसदों को अवसर देने की अपील
पीएम मोदी ने नए और युवा सांसदों के लिए चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पहली बार चुनकर आए या छोटी आयु के सभी सांसद बहुत परेशान और दुखी हैं, क्योंकि उन्हें अपने समर्थ का परिचय करने का अवसर नहीं मिल रहा है।
उन्होंने अपील की कि वरिष्ठ सदस्य नए सांसदों को अवसर दें ताकि वे अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन में बता सकें। उनके अनुसार, नए सांसदों के अनुभवों से राष्ट्र को लाभ मिलना चाहिए और उन्हें सदन की कार्यवाही में योगदान करने का मौका मिलना चाहिए।
विपक्ष को कड़ा संदेश: ड्रामा नहीं, डिलीवरी
पीएम मोदी ने विपक्ष को सीधे तौर पर संबोधित किया और उनसे अपनी हार की निराशा से बाहर निकलने का आग्रह किया।
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पराजय की निराशा: उन्होंने कहा, "विपक्ष अपने मुद्दे उठाए। पराजय की निराशा से बाहर निकले। एक दो दल तो ऐसे हैं कि पराजय को पचा नहीं पा रहे।"
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मैदान नहीं बनाना चाहिए: प्रधानमंत्री ने अपील की कि पराजय की बौखलाहट को संसद का मैदान नहीं बनाना चाहिए, और साथ ही यह भी कहा कि विजय के अहंकार में भी लोगों को नहीं आना चाहिए।
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नीति पर बल: उन्होंने विपक्ष को नसीहत दी कि "ड्रामा करने के लिए जगह बहुत है। यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी चाहिए।" उन्होंने कहा कि विपक्ष ने पूरे देश में जाकर नारे लगाए, लेकिन अब संसद में नारा नहीं, नीति पर बल देना चाहिए।
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नेशन बिल्डिंग: पीएम मोदी ने विपक्ष से अनुरोध किया कि वे अपनी नेगेटिविटी को अपनी मर्यादाओं में रखकर राष्ट्र निर्माण (नेशन बिल्डिंग) में लगाएं।
प्रधानमंत्री के इन बयानों से स्पष्ट है कि सरकार इस शीतकालीन सत्र को विधायी कार्यों और देश के विकास पर केंद्रित रखना चाहती है, जबकि विपक्ष से रचनात्मक सहयोग की अपेक्षा की जा रही है।